Sunday, June 23, 2013

सैनी युवा जागृति मंच की कार्यकारिणी समिति का गठन

आज दिनाक 22/06/2013 को सैनी युवा जागृति मंच की एक बैठक उप कार्यालय सैनी मार्किट नियर राजवंशी होटल ओल्ड रेलवे रोड गुडगाँव पर रखी गयी प्रधान गगनदीप सैनी ने अपनी कार्यकारिणी समिति का गठन किया। जो की इस प्रकार है 

उप प्रधान : अरुण सैनी
महा सचिव : नवनीत सैनी
सयुंत सचिव : संदीप सैनी
संगठन सचिव : मनोज सैनी 
सह संगठन सचिव : जग प्रवेश सैनी 
प्रचार सचिव : पंकज सैनी
सयुंत प्रचार सचिव : विशाल  सैनी
वित्त सचिव :  हितेश सैनी
सयुंक्त वित्त सचिव : ललित सैनी
कार्यकारिणी सदस्य : मनीष सैनी 
और कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया ।

Wednesday, April 10, 2013

Mahatma Jyoti Rao Phule ji ki Jayanti ki hardik shubh kamnaye


जोतिराव राव फुले (11 April 1827 – 28 November 1890)  ज्‍योतिबा फुले के नाम से प्रचलित 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे।

आरंभिक जीवन

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई. में पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। इसलिए माली के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा ने कुछ समय पहले तक मराठी में अध्ययन किया, बीच में पढाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की। इनका विवाह 1840 में सावित्री बाई से हुआ, जो बाद में स्‍वयं एक मशहूर समाजसेवी बनीं। दलित व स्‍त्री शिक्षा के क्षेत्र में दोनों पति-पत्‍नी ने मिलकर काम किया।

विचारधारा

ज्‍योतिबा फुले भारतीय समाज में प्रचलित जाति आधारित विभाजन और भेदभाव के खिलाफ थे।

कार्यक्षेत्र

उन्‍होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए काफी काम किया. उन्होंने इसके साथ ही किसानों की हालत सुधारने और उनके कल्याण के लिए भी काफी प्रयास किये। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1854 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया। उच्च वर्ग के लोगों ने आरंभ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका अवश्य, पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए।

महात्‍मा की उपाधि

दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने 'सत्यशोधक समाज' स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी। ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे।
महात्मा ज्योति राव फुले  जी की  समाजसेवा देखकर  3 दिसम्बर 2003 को दिल्ली संसद भवन में उनकी प्रतिमा को स्थापित कर उनको  सम्मान दिया। 

Source: Wikipedia

Friday, April 5, 2013

Chalo Delhi

Jantar Mantar jana hai, 
Mahatma Phule jyanti manani hai.

Saini Yuva Jagriti Manch

Monday, March 25, 2013

Happy Holi

Saini Yuva Jagriti Manch ki aur se aap sabhi ko Holi aur Dulhandi ki hardik Shubh kamnaye..

Saturday, January 12, 2013

Wish you all very Happy Lohri. May the lohri fire burns all the moments of sadness and brings you warmth of joy...



Saini Yuva Jagriti Manch

Monday, December 31, 2012

Happy New Year


सभी सैनी भाइयो  को Saini Yuva Jagriti Manch की और से नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाये नववर्ष सबके लिए सुख  समृधि तथा वैभाव्पुरण हो , और आशा करते है की नव बर्ष आप सभी के लिए मंगलमय तथा लक्ष्य प्राप्ति से भरपूर हो साथ ही साथ नववर्ष में आप सभी को अपार सफलता मिले। 2013 आप सभी के  जीवन में नयी उमंग लाये । 

Sunday, December 23, 2012

Maharaja Sursen Jyanti ki aap sabhi ko Hardik Shub kamnaye

23-12-12 ko aap bhai saini bhaio aur behno ko Saini Yuva Jagriti Manch ki aur se Maharaja SURSEN saini ji ki jyanti per shubhkamnaye
History of Maharaja Sursen.
Maharaja Udak was a very famous king. Maharaja Udak had two sons named Bhajman and Durota. Durota further had a son, Maharaja Sur and Maharaja Sur had a son who was named Maharaja Sur Saini (sometimes called Shoor Saini).

Maharaja Shoor Saini was born in the Mahabharat period. He ruled over 'Sur Sen', a kingdom in northwest India. According to ancient historical records, Mathura was the capital of this kingdom. His kingdom extended from Afghanistan to Uttarkashi and from Rajasthan to Southern India.

He strongly believed in righteousness and kindness and karma sidhant of vedic scriptures. He possessed a sound knowledge of law and ruled the kingdom under codified laws written into a book. He gave a new way of life to his kingdom known as the Saini religious way of life. He gave the vision to these people to work hard irrespective of their occupation. This is the reason sainis profess different occupations like floriculture, agriculture, baghbani and vegetable production in different regions of India.